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________________ (127 ) (आबू ) की पहाडी के नीचे बनाये जाने के कारण इस मन्दिर का नाम नन्दीश्वरचैत्य रक्खा गया हो, ऐसा जान पड़ता है। 111 गोयली सिरोही रियासत के इस छोटे गाँव में श्वेताम्बर जैनों के 25 घर, एक उपासरी, एक धर्मशाला और एक सौधशिखरी जिनमन्दिर है-जिसमें भगवान् श्रीपार्श्वनाथस्वामी की भव्य मूर्ति स्थापित है, जो नवीन है, पर दर्शनीय है। 112 ऊड़ इस छोटे गाँव में श्वेताम्बर जैनों के 25 घर हैं, जो धार्मिक भावना और साधुसेवा से विमुख हैं। यहाँ एक उपासरा और एक छोटा गृह-मन्दिर भी है / परन्तु यहाँ के जैन उसके पर्युषण के एक दो दिन के सिवाय कभी दर्शन नहीं करते / 113 जावाल सिरोही स्टेट का यह एक छोटा कसबा है, इसमें श्वेताम्बर जैनों के 200 घर, एक उपासरा, एक धर्मशाला और दो जिन मन्दिर हैं। सबसे बड़ा मन्दिर जो त्रिशिखरी है, और उंची कुरसी पर बना हुआ है, भगवान् श्रीऋषभदेवजी का है। दूसरा मन्दिर श्रीपार्श्वनाथस्वामी का है जो तीनथुईवालों के नाम से प्रसिद्ध है। इसकी प्रतिष्ठा महाराज श्रीमद्घनचन्द्रसूरिजी के करकमलों से सं० 1952 माहसुदि 13 शुक्रवार के दिन हुई है और इसको नावाल के रहने वाले जसाजी सुरतिंगजी पोरवाड़ने
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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