SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 139
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (124 ) तारघर, मदर्सा, अस्पताल और पक्की सड़कें बनी हुई है / शहर से 1 // मील दूर केसरविलास नामका बाग है-जिसमें सरकारी दो कोठी और बंगले हैं। सिरोही से दो मील उत्तर में सारणेश्वर का शिवालय है, जो 500 वर्ष का पुराना माना जाता है और वैष्णवों का यात्रा स्थान है। ___ राज महल से नीचे थोड़ी दूर पर जैनमन्दिरों का समूह है जो देरासेरी' के नाम से प्रसिद्ध है / इसमें एक ही लम्बे चौक में श्रेणिबद्ध पन्द्रह जिन मन्दिर हैं, जो अतिरमणीय और दर्शक यात्रियों के चित्त को मोहित करते हुए शत्रुजय महातीर्थ का स्मरण कराते हैं / इन सब में अपनी उच्चता, विशाक्षता और कारीगिरी की अपेक्षा अधिक सुन्दर चोमुखजी का मन्दिर है, जो संवत् 1634 का बना माना जाता है। यहाँ के जिन मन्दिरों का इतिहास अभी तक अंधारे में ही पड़ा हुआ है / सिरोही के सुशिक्षित जैनयुवकों को चाहिये कि ऐसे प्रसिद्ध जिनमन्दिरों का इतिहास शीघ्रता से प्रकाश में डालें / इनके अलावा शहर में श्रीऋषभदेव भगवान् का एक और भी भव्य मन्दिर है, जो अर्वाचीन है / यहाँ श्वेताम्बरजैनों के 500 घर, दो श्वेताम्बर धर्मशाला और पांच उपाश्रय हैं। शहर के बाहर श्राधे मील दूर एक जिनगृह है-जिसमें भगवान् श्रीमहावीर स्वामी की प्राचीन भव्य मूर्ति बिराजमान है, जो वामनवाड के नाम से प्रसिद्ध है। 107 सनवाड़ा __ यहाँ श्वेताम्बर जैनों के 10 घर, एक उपासरा, और एक जिनन्दिर है / मन्दिर में भगवान् श्रीचन्द्रप्रभस्वामी की सुन्दर
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy