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________________ (113 ) के पास एक बांध बनाया गया है / बांध की ओर झील के मध्य भाग में 100 फीट गहरा पानी है / महियासुर के भय से देवोंने भागकर छिपने के लिये नखों (नैल ) से खोद कर इस झील को बनाई, इसी से इसका नाम 'नखी-तालाव' पडा है। नखी-तालाव से अचलगढ़ की तरफ़ जाते हुए उत्तर अंबादेवी नामक पहाड़ी की चोटी है, जो समुद्र के जल से 4720 फीट ऊंची है / इसके अधबीच में 450 सीढ़ियाँ चढ़ने पर अधरदेवी का मन्दिर और उसके पास ही एक छोटी गुफा है / इस मन्दिर में अंबिकादेवी की खड़ी श्याम वर्ण की मूर्ति है, जिसे लोग अर्बुदादेवीया अधरदेवी कहते हैं / इसके दर्शन के लिये जैनेतर यात्री बहुत आते हैं। अधरदेवी से लगभग एक मील उत्तर-पूर्व में देलवाडा गाँव है, जो जैनदेवालयों से ही प्रसिद्ध है। यहाँ श्वेताम्बर जैनों के पांच छः मन्दिर हैं। उनमें कारीगिरी की दृष्टि से विमलशाह और तेजपाल का मन्दिर सारे भारत र्ष में अधिक प्रसिद्ध है / धंधुक से जमीन खरीद करके विमलशाहने करोड़ों रुपया लगा कर आदिनाथभगवान् का सौधशिखरी मन्दिर बनवाया है, जो 140 फीट लंबे और 90 फीट चौड़े एक आंगन में स्थित है / इसके चारों ओर फिरती 55 देवरियाँ हैं, जो समय समय पर अलग अलग लोगों की बनाई हुई हैं। इसके प्रवेशद्वार के सामने मुरब्वा-मण्डप में एक हस्तिशाला है / जिस में सफेद मार्बुल के 4 फीट उंचे 6 हाथी हैं, जो सं० 1205 से
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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