________________ . (513) अग्नि आदि का उपद्रव मी उस मकान में रहता है। रहना ऐसे स्थान में चाहिए कि जहाँ अच्छे पड़ौसी हों। अच्छे पड़ौसियों से स्त्रीपुत्रादि के बिगड़ने की कम आशंका रहती है। पड़ौसी यदि खराब होते हैं तो स्त्रीपुत्रादि के आचार, विचारों पर बुरा प्रभाव पड़ता है / इसलिए अच्छे पड़ोस में रहना चाहिए। आठवाँ गुण। कृतसंगः सदाचारैः। अर्यात्-उत्तम आचरणवाले सत्पुरुष की संगति करना, मार्गानुसारी का आठवाँ गुण है / नीच पुरुषों की यानी जुआरी, धूर्त, दुराचारी, भट, याचक, भाँड, नद, धोबी, माली, कुम्हार आदि की संगति धार्मिक पुरुषों को नहीं करना चाहिए / आजकल के कुछ वेषधारी व्यक्ति हल्की जाति के मनुष्यों को अपने साथ रखते हैं / इसका परिणाम बहुत ही भयंकर होता है। नीच पुरुषों की संगति करना जब गृहस्थों के लिए भी मना किया गया है तब साधुओं के लिए तो ऐसी इजाजत हो ही कैसे सकती है ? ऐसे नीच पुरुषों की संगती करनेवाले साधु की जो गृहस्थ रक्षा करता है उस गृहस्थ को पाप की रक्षा करनेवाला समझना चाहिए। यदि मनुष्यों को सद्गुण प्राप्त करने की इच्छा हो तो उन्हें उत्तम पुरुषों की संगति करना चाहिए / सज्जन पुरुषों की संगति से महान लार होता है। इसके लिए नारदजी का उदाहरण प्रत्येक के ध्यान में रखने योग्य है। 33