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________________ (490 कोहो विसं किं अमयं अहिंसा माणो अरी किं हियमप्पमाओ / माया मयं किं सरणं तु सच्चं लोहो दुहो किं सुहमाह तुठी // 4 // बुद्धि अचंडं मयए विणीयं कुद्धं कुसीलं भयए अकित्ती / संभन्नचित्तं भयए अलच्छी सच्चे ठियंसं भयए सिरीय // 5 // चयंति मित्ताणि नरं कयग्धं चयन्ति पावाइ मुणिं जयन्तं / चयन्ति सुक्काणि सराणि हंसा चएइ बुद्धी कुवियं मणुस्मं // 6 // अरोई अत्थं कहिए विलाबो असंपहारे कहिए विलावो / बिखित्तचित्तो कहिए विलावो बहु कुसीसे कहिए विलावो // 7 // बुट्टा हिवा दंडपरा हवन्ति विजाहा मंतपरा हवन्ति / मुक्खा नग कोहपरा हवन्ति सुसाहुणो तत्तपरा हवन्ति // 8 // सोहा भवे उग्गतबस्स खंती समाहिमोगो पसमस्स सोहा / नाणं सुझाणं चरणस्स सोहा सीसस्स सोहाविणंए पवित्ति // 9 // अभपणो सोहइ बंभयारी अकिंचणो सोहइ दिक्खधारी / बुद्धिजुओ सोहइ शयमंती लज्जाजुओ सोहइ एगपत्ति // 10 // अप्पा अरी हो अणव द्वियस्म अप्पा जसो सोलमओ नरस्त / अप्पा दूरप्या अणवट्ठियस्स अप्या निअप्पा सरणं गई य // 11 // न धम्मकज्जा परमत्थि कजं न पाणिहिंसा परमं अकझं / न पेमरागा परमत्थि बन्यो न बोहिलाभा परमत्थि लाभो // 12 // न सेवियन्वा पमया परक्का न सेवियना पुरिसा अविज्झा / न सेवियना अहिमानहीणा न सेवियव्वा पिसुणा मणुस्सा // 13 //
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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