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________________ ( 392) इसलिए कृपा करके सेठ के लड़के को बचाइए / बड़ा उपकार : होगा।" योगीने उत्तर दिया:-"अगर हम दुनिया का कार्य करने में पडेंगे तो फिर ईश्वर का भजन कब करेंगे ?" योगी और नौकरों की इस तरह बातें हो रहीथी, उसी समय वहाँ कई लोग जमा हो गये और वे योगी को समझा बुझाकर हवेली में ले गये। उसने सेठ के पुत्र को देखकर कहा:-" लड़का इलाज करने से अच्छा हो सकता है / घबराने की कोई बात नहीं है। योगी लोग मरे हुए को भी वापिस जिला देते हैं तो फिर इसकी तो बात ही क्या है ! यह लड़का शीघ्र ही अच्छा हो जायगा / उडद के दाने, लोबान और पंच रंग का कपड़ा लाओ। एक सफेद पर्दा तैयार करो / एक जल का कटोरा भी भरकर लेते आओ। योगी के कथनानुसार सारी चीजें तैयार करके दे दी गई / अब योगीने अपनी क्रिया प्रारंभ की / लोग प्रसन्न होकर आपस में बातें करने लगे कि सेठ के अहोभाग्य हैं, जिससे ऐसा योगी मिल गया है। योगी ऊँचे स्वर से बोलने लगाः-" ॐ फुट फुट स्वाहा ! " " ॐ झों झों स्वाहा !" आदि / बड़े आडंबर के साथ क्रियाएँ पूर्ण करने के बाद योगी पर्दे के बाहिर आया और बोला:-“ सुनो भाईयो ! इस लड़के पर व्यन्तर का आक्रमण हुआ है / वह बहुत जबर्दस्त है। बच्चे के एवज में वह किसी का जीव लेगा तब ही लड़के को छोड़ेगा। इसलिए जो
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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