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________________ (336 ) आजकाल कई जीव स्वयं तो धर्मकरणी करते हैं; मगर जो करते हैं उनकी भी वे, लेखों और गुप्त मित्रमंडल व्याख्यानों द्वारा निंदा करते हैं / इससे दूसरे जीव भी प्रमाद के वश में होकर समय को चूक जाते हैं। इसके लिए निम्नलिखित उदाहरण खास विचारणीय है। ___“शिकागो-अमेरिका के एक बंदर से किसी व्यापारी का एक जहाज रवाना हुआ। उसमें एक अब्ज रुपये के मूल्य के हीरे, मोती, स्वर्ण, चाँदी आदि भरे हुए थे। वह मार्ग के अनेक उपद्रवों को हटाती हुई, कुशलता पूर्वक बारा में पहुँच गई नहाज सकुशल पहुँचने की प्रसन्नता की; खलासीयोंने पुकार की। व्यापारीने भी सुनी / कप्तानने व्यापारी के घर जाकर, जहाज के बंदर में पहुँच जाने की सूचना दी / साथ ही सामान उतारने के लिए भी कहा। व्यापारी सेठ को प्रसन्नता हुई। कप्तान चला गया / सेठ उस समय अपने मित्रों के साथ चौपड़ खेल रहा था। इसलिए जहाज से सामान उतरवाने का प्रबंध करने के लिए भी वह मुनीम को आज्ञा न दे सका / यह बानी पूरी कर के उठता हूँ; यह पूरी करके उठता हूँ, इसी तरह सोचता हुआ वह खेलता ही रहा / आनंद के साथ खेलते हुए, कितना समय बीत गया इसकी उसको कुछ भी खबर न रही / सूर्य छिप गया / शहर में दीयाबत्ती की रोशनी की गई / सेठने सोचा,कल सवेरे ही सब कार्य छोड़ कर पहिले सामान उतरवा लँगा।
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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