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________________ ( 245 ) आत्मा को प्राप्त किया है। जो निज, परका रक्षक है; जो स्त्री, पशु और नपुंसक रहित स्थान में रहता है और जो उपसर्ग परिसह आदि से नहीं डरता है। उसी साधु को सामायिक रूप चारित्र की प्राप्ति होती है / जो चारित्र धर्म में स्थिर होते हैं; जो असंयम से लज्जित होते हैं, तीन बार उबाला हुआअचित्त जल काम में लेते हैं, ऐसे साधु भी राजादि का संसर्ग करने से असमाधि को पाते हैं। अर्थात् असंग साधु किसी गृहस्थ का विशेष परिचय न करे, राजा का तो खास करके / क्योंकि साधु को राजा के दाक्षिण्य से धर्मक्रिया का समय भी कभी खोना पड़े। ____ ज्ञान, दर्शन और चारित्रयुक्त पुरुषों को भी उत्तम कारण -उत्तम परिस्थिति में रहने की भी वीतराग प्रमुने आज्ञा दी है / उन्होंने कहा है कि-स्त्री, पशु और नपुंसक रहित स्थान में रहो / मगर आजकाल के शुष्क ज्ञानी स्त्री के पास रह कर ब्रह्मचर्य पालन करने की सूचना देते हैं। यह कैसा मिथ्यात्व है ? श्री स्थूलिभद्र, सुदर्शनसेठ और विजयशेठ के समान स्त्रीके पास रह कर ब्रह्मचर्य पालनेवाले आज निकल सकते हैं क्या ? दशवैकालिक सूत्र के आठवें अध्ययन में 526-28 वें पृष्ठ पर क्या लिखा है ? जहा कुक्कुडपोअस्स निच्चं कुललओ भयं / एवं खु बंभयारिस्स इत्थीविग्गहओ भयं / / 54 / /
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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