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________________ (216 ) बंध का त्याग बताना होता तो 'कर्म से विरत ' विशेषण बताते / अभिनिवृत्ति का अर्थ होता है-क्रोध, मान, माया और लोम आदि से शान्त बना हुभा। जो मनुष्य क्रोधादि कषायों से अशान्त होता है वह कभी पापसे निवृत्त नहीं हो सकता है। पूर्वोक्त विशेषण विशिष्ट पुरुष न्याययुक्त और युक्तियुक्त मुक्ति माग को प्राप्त होता है / इसलिए उसको 'पणए' विशेषण दिया गया है। इसका अर्थ होता है-सत्य मार्ग को पाया हुआ / या समस्त प्रकार के परिग्रहों का त्याग कर वैराग्यवृत्ति को अनुसरण करनेवाला / Recenevercreenews , मुनियों की महिमा / BaramanarasnNS पाठकों को समझना चाहिए कि आत्मकल्याण रूप के लब्धियाँ रूप फूल लगते हैं। वे फूल आत्म-ऋद्धि समझे जाते हैं। किप्ती सांसारिक कार्य के लिए लब्धियों का उपयोग नहीं करते हैं। उनकी लब्धियाँ केवल शासनोन्नति के ही कार्य में आती हैं। उनका-ऋद्धियों का यहाँ थोड़ासा दिग्दर्शन कराया जाता है। तपस्वी मुनिवरों की नासिका का मैल औषध रूप होता है। जैसे चंद्र की कान्ति से पर्वत की वनस्पतियाँ औषध रूप हो जाती हैं इसी तरह से मुनियों के श्लेष्मादि भी उनके तप के
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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