________________ (159) लोभ का जय करने के उपाय। - पुण्य के विना द्रव्य का लाभ नहीं होता है और कदाचित हो जाता है तो वह विशेष समय तक नहीं टिकता है / यदि वह टिकता है तो भी उस से आत्मिक सुख नहीं मिलता है / इस लिए विचारशील पुरुषों को कदापि लोभ नहीं करना चाहिए / दुनिया में कोई ऐसा उदाहरण नहीं मिलेगा, जिस से यह मालूम हो कि, लोभ के कारण कोई सुखी हुआ है। सागर नामा सेठ लोभही के कारण समुद्र में डूब कर मर गया है। कहा जाता है कि अतिलोभो न कर्तव्यो लोभो नैव च नैव च / अतिलोमप्रसादेन सागरो सागरं गतः // भावार्थ-लोभ न करना चाहिए ( यदि कोई करे तो भी साधारण) अति लोम तो कदापि नहीं करना चाहिए। बहुत ज्यादा लोभ करने ही से सागर नामा सेठ सागर में डूब गया था। लोभ ही के कारण क्षुभुमचक्रवर्तीने अन्य चक्रवर्तियों की अपेक्षा कोई नवीन बात करनी चाही। उसने चाहा कि सब चक्रवर्तियोंने छःखंड पृथ्वी का साधन किया है। सातवीं का किसीने नहीं किया। अतः मैं उस का साधन कर सात खंड