________________ ( 112 ) समझते हैं / जो एक कीडी मारने में भी महा पाप समझते हैं। वे ब्राह्मणों को-पंचेन्द्री जीवो को मारे यह सर्वथा असंभव है। मेरी लगभग पचास बरस की उम्र हुई है। अपनी इस आयु में मैंने प्रायः जैनशास्त्र पढ़े हैं। मगर मुझे उन में कहीं भी ऐसी बात लिखी नहीं मिली / अब भी यदि कहीं ऐसी बात लिखी मिल जाय तो मैं जैनशास्त्रों को कुशास्त्र मानने के लिए तैयार हूँ / बचपन ही से मैं मानता है कि जिन शास्त्रों में बलिदान-पंचेंद्रियवध का प्ररूपण होवे वह शास्त्र कुशास्त्र हैं। . जैनियों के तो नहीं, मगर हिन्दु शास्त्रों के अन्दर तो यज्ञ, श्राद्ध, देवपूना आदि कार्यों में बलिदान करने की आज्ञा है। कई स्थानों से नरमेध और काली के आगे नरबलि की बातें हमें सुनने को मिली हैं। मगर अब तो नीतिकुशल ब्रिटिश राज्य के प्रताप से यह अन्याय सर्वथा नष्ट हो गया है / इसी तरह हिन्दुस्तान में से यदि सारी हिंसा बंद हो जाय तो बिचारे मूक-बे जबान-प्राणियों को अभयदान मिले और साथ ही भारत के लोगों को दूष, घृत और ऊन के कपड़े विशेष प्रमाण में मिलने लगे। मगर हतभाग्य भारत का अभी ऐसा सुदिन नहीं आया है कि जिस से वह देश, काल का विचार करके ऐसे कुरिवानों