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________________ (88) युद्ध में विनाही कारण हजारों मनुष्यों का वध होगा। उन्होंने दोनों भाईओं के आपस में युद्ध करने का प्रबंध किया। दोनों का युद्ध आरंभ हुआ। उनका युद्ध देखने के लिए मध्यस्थ मावसे, 'एक ओर देव, दानव, यक्ष, राक्षस, किन्नर और विद्याधर खड़े हुए और दूसरी तरफ उन दोनों की सेना। दोनों में पाँच प्रकार का युद्ध हुआ / (1) दृष्टि युद्ध, (2) वाक् युद्ध (3) बाहु युद्ध (4) दंड युद्ध, और (5) मुष्टि युद्ध / ____ पहिलेके चारों युद्धों में बाहुबलीने भरत गना को परास्त कर दिया / इस से राजा भरत का मुम्ब म्लान हो गया / बाहुबलीने उसको उत्साहित कर मुष्टि युद्ध के लिए तत्पर किया / पहिले भरतने बाहुबली के ऊपर मुष्टि का प्रहार किया, जिससे बाहुबली घुटने तक पृथ्वी में घुस गये; क्षणवार आँखें बंद रहने के बाद बाहुबली को चेत हुआ। उनके मुष्टि प्रहार का समय आया। उन्होंने मुक्का मारने के लिए हाथ उठाया / भरत और बाहुबली दोनों उस भव में मोक्ष जानवाले थे। इससे उमी समय इनको विचार हुआ-" यदि मरतके मुक्का लगजायगा तो तत्काल ही यह मर जायगा / खेद है कि, इस विनश्वर राज्य के लिए मैं उमय लोक में निन्द्य कार्य करने के लिए तैयार हुआ हूँ। मगर वैसे ही, ऊँचा किया हुआ हाथ नीचे करना उचित नहीं है।" ऐसा सोच कर उन्होंने जो हाथ भात पर मुक्का मारने के लिए उठाया था उसी हाथ को उन्होंने अपने मस्तक पर डाला
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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