SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नीति-शिक्षा-संग्रह साल के घर खर्च के लिए अवश्य रख ले / कर्ज न करे। आवश्यकता पड़ने पर मजदूरी कर के गुज़ारा कर ले / 67 सच्चा साधु- दिखाई देने वाले सब पदार्थ नश्या और पर हैं, एक मात्मा ही नित्य और अपना है; ऐसे सच्चे ज्ञान के होने पर वैराग्य (फकीरी) ले। क्योंकि- फ़िकर सब को खा गई, फिकर सब का पीर / फिकर की फाकी करे सो ही आप फकीर // 1 // जिसे अपने पथ की, अपनी जीविका की, पुस्तक की और चेले की, फिक्र नाम मात्र भी नहीं है। जो आत्महित की शिक्षा खुद को मिली है, वही दुनिया को दे। अपने को जो कुछ मिले उसी से गुजारा चलावे, जो कुछ भली या बुरी, आपत्ति या सम्पत्ति उपस्थित हो, उसे दैवाधीन समझे। मनुष्य जाति का सेवक बने / सट्टा जुआ शराब व्यभिचार हिंसा असत्य अनीति आदि दूर करने के लिए यथाशक्ति उपदेश दे / जैसे कोई बादशाह निडर होकर फिरता है, वैसे ही अपनी आत्मा पर राज्य करता हुआ निडर होकर विचरे ! किसी दूसरे की तथा अपनी इन्द्रियों और मन की गुलामी 'न करे / 68 अपनी मिहनत से पैदा की दुई सम्पत्ति से या अपने को मिलने वाली पेन्शन से अपना निर्वाह करे। किसी प्रलोभन में न फँसे / साथ काम करने वाले से आँख न चुरावे अपने ऊपर के
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy