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________________ (71) सेठियाजैनग्रन्थमाला 41 घोड़े का सामान्य लक्षण- जिस घोड़े की उँचाई आगे के पैर से पीठ तक 60 से 65 अंगुल तक हो, उसे उत्तम जाति का जानना चाहिए। जिस की उँचाई उस से अधिक हो, उसे लक्ष्मी का नाश करने वाला जानना चाहिए / जिस घोड़े की उँचाई 85 से 60 अंगुल हो, उसे मध्यम जाति का तथा जिसकी उँचाई उससे भी कम हो, उसे जवन्य जाति का जानना चाहिए। जिस घोड़े की लम्बाई पूँछ सहित 102 अंगुल की हो उसे उत्तम जाति का तथा 65 से लेकर 101 अंगुल तक हो, उसे मध्यम जाति का समझना चाहिए। जिसकी लंबाई उस से भी कम या ज्यादा हो, उसे लक्ष्मी का नाश करने वोला जानना चाहिए। जिस घोड़े के मध्यम भाग की मुटाई 80 से 85 अंगुल तक हो, उसे धन की वृद्धि करने वाला उत्तम घोड़ा समझना चाहिए, तथा जिस घोड़े के मध्य भाग की मुटाई उस से कम या ज्यादा हो, उसे उसके स्वामी की मृत्यु करने वाला समझना चाहिए / जिस घोड़े का अगला दाहिना पाँव अगले बायें पाँव से छोटा हो, उसे अग्नि आदि का भय करने वाला समझना चाहिए। जो घोड़ा अगले दोनों पाँव, खड़े रहते समय जमीन से जरा ऊँचे रखता हो, उसे धन का क्षय करने वाला जानना चाहिए। जिस घोड़े के अगले दोनों पाँवों में से एक पैर भी खड़े रहते समय जमीन से ऊँचा रहता हो, उसे शत्रु द्वारा भय करने वाला समझन। चाहिए / जिस घोड़े के पिछले दोनों पाँवों में से कोई भी पैर खड़े
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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