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________________ नीति-शिक्षा-संग्रह दूकान में कितनी पुंजी लगी है, उसमें से कितना माल मौजूद है, और कितनी उगाई माने योग्य है / 35 व्यापारी को जमीन, मकान, गहने आदि में ज्यादा रकम नहीं रोकना चाहिये क्योंकि रकम रुक जाने से हाथ तंग हो जाता और व्यापार मन्द पड़ जाता है, इसलिये पूंजी को ऐसे कामों में कम रोकना चाहिये। खर्च आमदानी से कम रखना चाहिए और व्यर्थ व्यय भी न करना चाहिए। 36 सस्ती और नई फैसन की चीज के चलन से पुराने फैसन की चीज का चलन मन्द पड़ जाता है / इसलिये व्यापारी को सावधान रहना चाहिये / __ 37 चोरी का माल यद्यपि सस्ता मिलता है, फिर भी कभी खरीदना नहीं चाहिए। क्योंकि उसे खरीद लेने से राजदण्ड मिलता है, इज्जत में बट्टा लगता और अनेक कठिनाइयाँ उठानी पड़ती हैं। 38 दुकान पर अनेक प्रकार के ठग आते हैं। इसलिए अनजान आदमी का विश्वास नहीं करना चाहिए / जो लोभ लालच दिखाता है, समझो वहां कुछ दाल में काला अवश्य है / जो लोभ में आ जाता है, वह ठगा जाता और धोखा खाता है / 36 प्रत्येक मनुष्य को चाहिये कि अपनी आय में से चौथाई या ज्यादा कम हिस्सा, स्कूल, विद्यालय, अनाथालय, पिंजरापोल
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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