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________________ नीति-शिक्षा-संग्रह 11 जिस देश या प्रान्त में कारबार करना हो पहिले वहां की भाषा, रहन सहन, आवश्यकताए और कानून कायदे जान कर उस का भली भांति से अनुभवी (जानकार) हो जाना चाहिये। 12 जिस जगह जिस माल की खपत हो वही माल खपत के माफिक दूकान में रखना चाहिये / 13 जो चीज़ खरीददार मांगे यदि वह दूकान में न हो तो उसका नोट करते रहना चाहिये और देखना चाहिये कि किस चीज़ रखना चाहिये कि जिससे ग्राहक खाली न जाय ऐसा करने से दूकान जम जाती और विक्री बढ़ जाती है। 14 दूकानदार को चाहिये कि ग्राहक से मिठास, और भादर सत्कार के साथ बोले / उसकी रुचि और अभिप्राय की तरफ खयाल रखकर जो चीज़ मांगे, वही या उससे मिलती जुलती अन्य चीजें दिखावे, इस प्रकार ग्राहक को प्रसन्न रखना चाहिए, जिससे कि वह दुबारा भी उसी की दुकान पर आवे / 15 कौन चीज किस समय अधिक या कम बिकती है, किस समय कौन चीज़ अधिक या कम पैदा होती है, कौन चीज़ जल्दी और कौन देर में खराब होती है, दूकानदार को यह ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। 16 नकद दाम देकर जो चीज खरीदी जाती है, उसमें
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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