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________________ सेठियाजेनगन्यमान 5 छायालनशुभ मुहूर्त के न मिलने पर आवश्यकीय कार्य में छाया-लग्न से कार्य करना चाहिये. वह छाया अपने शरीर की अपने ही पैर से मापी जाती है / रविवार को 11, सोमवार को 61, मंगलवार को 6, बुधवार को 8, गुरुवार को 7, शुक्रवार को 8 // और शनिवार को भी 8 // पैर छाया रहे तब शुभ समय माना गया है, यह छाया लग्न 1 दिन में दो दफा (सुबह और शाम) देखा जाता है / या बारह अंगुल का शंकु (खूट।) की छाया रविवार को 20, सोमवार को 16, मंगल वार को 15, बुधवार को 14, गुरुवार को 13, शुक्रवार को 12 और शनिवार को भी 12 अंगुल हो तो भी गमनादि शुभ कार्य करना चाहिये। ऐसा आचार्यों का मत है। 6 विजय मुहूर्त जो दिन के दुपहर में मध्याह्न से एक घड़ी पहले से लेकर एक घड़ी पीछे तक अर्थात् मध्याह्न की दो घड़ी रहता है, . इस में भी गमनादि कार्य शुभ माना गया है / . 7 अपनी जिस (बॉई या दाहिनी) नासिका में से वायु निकलता हो उसी तरफ के पैर को प्रथम उठाकर गमन करे तो विजय प्राप्त करता है। ,२-चौवीस मिनिट की एक घड़ी होती है.।
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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