________________ सेठियांजैनग्रन्थमाला लिये नहीं, बल्कि पढ़ने के लिये हैं। 80 जो वस्तु जिससे लो वह उसे ही लौटाओ अर्थात् बिना वस्तु के सच्चे अधिकारी की आज्ञा प्राप्त किये किसी दूसरे को मत दो। 81 जिसका अपराध हो, उसे ही उसके विषय में जो कुछ भला बुरा कहना हो कहो / व्यर्थ ही किसीका दोष किसी और के माथे मढना ठीक नहीं। 82 धार्मिक तथा अन्य इसी प्रकार की बातचीत करते समय जरा जरा सी बात पर क्रोध न करो और न जोर जोर से बोलने ही लगो। व्याख्यान के समय व्याख्यान सुनो न कोई पुस्तक पढ़ो और न दूसरा कोई काम करो! 83 पुस्तकों पर मत बैठो, उन्हें पैर न छुपाओ और उनके पृष्ठों को न मुड़ने दो। .84 पुस्तकों की गोलमोल घड़ी करके या तोड़ मरोड़कर जेब में रखकर ले जाने अथवा हाथ में ले जाने का ढंग बहुत ही बुरा है। ऐसा करने से पुस्तक बदशक्ल बन जाती है। 85 बिना आज्ञा प्राप्त किये किसी की वस्तु को मत उठायो, इस बात का ध्यान खूब अच्छी तरह रखना चाहिये / 86 हँसी मजाक में भी किसी की वस्तु को उसके मालिक की गैरहाजिरी में मत उठाओ, न छुपाओ। यह कभी कभी चोरी की मियाद तक पहुँच जाता है। ....