________________ सेठिया जैन अन्यमाना पाठ 32 वाँ प्रकीर्णकपद्य हो मतिनजि मठ, नरजन्म ... (मत्तगयंद बन्द) ज्यों मतिहीन विवेक विना नर, साजि मताज ईधन ढौवे / कंचन भाजन धूल भरै शठ, मूद सुधारस सौं पग धोवै // बाहत काग उड़ावन कारण, डार महामणि मूरख रोवै / त्यों यह दुर्लभ देह 'बनारसि,' '.. पाय अजान अकारथ खोये // ___ लक्ष्मी नीच की ओर ढरै सरिता जिम, घूम बढ़ावत नींद की नाई। चंचलता प्रघटै चपला जिम, अंध करें जिम धूम की झाई // तेज कर तिसना दध ज्यों मद, .. ___ ज्यों मद पोषित मूढ के ताई / ये करति कर कमला जग, .. डोलत ज्यों कुलटा बिन साई //