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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा कायपुरी तजि भाजि चल्यो जिहि, प्रावत जीवनभूप गुमानी। लूट लई नगरी सगरी दिन दोय में खोय है नाम निसानी // 9 // . दोहा। सुमतिहि तजि जोबन समय, सेवा विषय धिकार। खस्तसाटै नहिं खोइये, जन्म-जबाहिर सार // 10 // कठिन शब्दों के अर्थ परभो (भव- परलोक / विसार दीनो- भुला दिया। जेर- फंसा हुआ / प्राय (प्रायु)- उम्र / प्रांधे की वटर है. अचानकही होने के अर्थ में मुहाविरा है। सेत- सफ़ेद बाल। वैस (वयस्)- अवस्था / विगोइ दयौ- खो दिया / स्चे है- अनुरक्त होती या होता है / भाये- मग्न हुए / कोदौं- एक प्रकार का अनाज / मचे है- उन्मत्त होजाता है / बौर. पागल, नादान / सीस चोरे. मिर पर सफेद बाल / अजौ- अब भी / बलाय- भूत देवता आदि / तगा- तागा धागा / बंक- टड़ी / लंक- कमर / नई है. नम गई है / रूस रही- रूठी रही / परियंक (पर्यङ्क) खाट / नार- गर्दन / महामति- मुबुद्धि / कटिकमर / ऊचरी- बाकी / जरा ने जुहारु कीनी- बुढ़ापे का आगमन हुआ; प्रात समय जुहारु की जाती है। थिर-जंगम- स्थावरबस / उमा हैं. चाहते हैं / सांट- बदले में / थकि बकर / पन तीजा- तीगरी अवस्था, बुढ़ापा | दुरावकंगता है / जराभट- बुढ़ापा रूपी योद्धा / अगवानी- आगे 2 चलने वाला, मुखिया / गुमानी- घमण्डी।
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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