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________________ सेठिया जैन ग्रन्थमाला बली नहीं, बुद्धिमान भी हैं / उन्होंने इगटेंस तक अंगरजी पड़ी है। संस्कृत भी जानते हैं, हिन्दी बोल लेते हैं / वह ब्रह्मचर्य के कट्टर पक्षपाती हैं / अभी तक अपना विवाह नहीं किया है और कदाचित् करेंगे भी नहीं / उठती जवानी में उनको छाती का , घेरा 48 इंच था / फुला लेने पर तो वह 56 इंच तक हो जाती थी। वे बड़े हँसमुख हैं, हँसी को वह स्वास्थ्य के लिये उपयोगी समझते हैं / पवित्रता को वह ब्रह्मचर्य की नींव समझते हैं।मन से पचन से शरीर से पवित्र रहो, सादा भोजन करो, सरल जीवन रक्खो, प्रतिदिन कसरत करो, इन्हीं बातों का वह उपदेश करते हैं और इन्हें ही संसार में सुखी होने के प्रधान उपाय समझते हैं / भारतीय युवकों की वर्तमान दुर्बलता देखकर वे दुःखी हैं। उनके उद्धार के लिये व्याकुल होकर वह कहते हैं "भारत के युवकों का उद्धार ही मेरे जीवन का उद्देश्य है / कृष्ण और लक्ष्मण, भीम और भीष्म या हनुमान जैसे हों या न हों, पर देश में युवकों की एक अजेय सेना तैयार हो, यही मेरी इच्छा थी और है" / देश के कोने कोने में घूमकर राममूर्ति ने युवकों को प्रोत्साहन दिया है / मन, बचन, तन और धन से राममूर्ति भारतवर्ष के सेवक बन गये हैं / भारत के बच्चों और युषको ! क्या तुम यह प्रतिज्ञा नहीं कर सकते कि आज से हम ... हुए पुष्ट, कसरती, बलवान और सदाचारी बनने की पूरी चेष्टा करेंगे? कठिन शब्दों के अर्थ असाध्य-जो परिश्रम करने पर भी न पूरा हो सके / अलौकिक- जो साधारण आदमियों में न हो, असाधारण / डम्बेल्स- लोह और काठ का होता है ,
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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