SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 523
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा इन उपमाओं में संसार के दुःख और उनके निवारण के उपाय बताये गये हैं / इन्हें मनन कर दूसरों को समझाना चाहिये। कठिन शब्दों के अर्थ तरंगे - लहरें / समतल- सपाट, बराबर / काम-विषय प्रपञ्च वासना और भोग के जाल से / गंभीर- गहरा / अगाध- बहुत गहरा / सलिल- राशि- पानी का ढेर / त्रिविध ताप- तीन तरह के दुख / कर्णधार- नाविक, मल्लाह / पाठ १७वा धर्मधार कामदेव भगवान महावीर के समय भारत की चपा नगरी में कामदेव नाम के एक श्रावक हो गये हैं। उनकी पत्नी का नाम भद्रा था / भद्रा बड़ी सुशीला थी / वह परमा सुंदरी थी / कामदेव को किसी बात की कमी न थी / द्रव्य की तो सोमा नहीं थी / छः करोड़ मुहरें घर में, छः करोड़ व्यापार में, छः करोड़ जायदाद में और इतनी ही कोष में थीं। आजकल इस प्रकार सुंदर व्यवस्था कौन करता है ? जिनके पास धन है वे यदि विचार केसाथ अपने पूर्व पुरुषों के आचरण से शिक्षा ग्रहण कर व्यवस्था करें तो आये दिन निकलने वाले दिवाले बंद हो जायें / पर हम तो पूर्वजों की चाल को भूले हुए हैं।
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy