________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (25) पुरानी प्रथाएँ परिचय की अधिकता से प्रिय जान पड़ती हैं और नवीन सुप्रथाएँ अप्रिय / परन्तु जो प्रिय है वह सदैव हितकर ही नहीं होता। इसलिये किसी नयी प्रथा को विना विचारे अस्वीकार न कर देना चाहिए / समय बदलता है, जीवन बदलता है, जगत बदलता जाता है फिर पुरानी कुप्रथाओं को सदा एकसा बनाये रखना क्या उचित है? साधारण व्यक्ति परिवर्तन से ऐसे डरते हैं जैसे रोगी डाक्टर के नश्तर से / वे बेचारे यह नहीं जानते कि यह नश्तर ही उनके भावी सुखमय जीवन का आधार होगा। बुद्धिमान मनुष्य परिवर्तन को अपनी बुद्धि की कसौटी पर कस कर प्रेम पूर्षक अपना लेते हैं। हम किसे नया और किसे पुराना कहें ? समय अस्थिर है, जो आज पुराना है वह कभी नया भी रहा होगा और जो नया है वह भी कभी पुराना हो जायगा। ऐसी अनवस्थित अर्वाचीनता और प्राचीनता को कौन बुद्धिमान हेय और उपादेय की कसौटी बनाएगा?। किसी बात को जान लेने से ही हमारे कर्त्तव्य की इतिश्री नहीं हो जाती, जीवन में उसका व्यवहार करने की ओर प्रवृत्ति भी