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________________ चीति-शिक्षा-संग्रह 106 अजवायन का सत, पिपरमेन्ट और कपूर, इन तीनों को बराबर लेकर शीशी में भर लेना चाहिए अमृतधारा के समान बन जायगी। इस से ज्वर पेट दर्द, वदहज़मी सिरका दर्द, कय, दस्त, जीव गिरना, शूल आदि अनेक रोगों पर 'ममृतधारा' के समान काम देता है। विच्छू आदि के जहर दूर करने के लिए काटी हुई जगह पर लगाना चाहिए थोड़ी देर में आराम हो जायगा / यह नुस्खा आजमाया हुआ है। 107 बुद्धि- वर्द्धक सरस्वती चूर्ण- गिलोय, चिरचिरा (आधीझाड़ा)विडंग (वायविडंग) साँखाहोली, ब्राम्ही, वच,सोंठ, हरड़े, सतावरी, इन नौ चीजों को बराबर- बराबर लेकर चूर्ण बना लेना चाहिए / पीछे चार आने भर चूर्ण घी में मिलाकर चाटने से तीन ही दिन में बुद्धि का चमत्कार नजर आने लगता है। इस का कुछ दिन सेवन करने से बुद्धि की अपूर्व वृद्धि होती है / 108 शरीर का स्वस्थ्य मन के स्वास्थ्य पर निर्भर है। जिस का मन शुद्ध,क्रोध शोक आदि बुरे भावों से निर्लिप्त रहता है,क्षमा, दया, परोपकार आदि सद्भावों से भूषित रहताहै, तथा जो ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं,वे सदा तन्दुरुस्त रहते हैं; इसलिए मनुष्यमात्र को चाहिए कि वे प्रतिक्षण अपनी आत्मा के विचारों का निरीक्षण करते रहें, तथ अपनी आत्मा में बुरे भाव उत्पन्न होने न दें / जो मनुष्य इस नियम का पालन करते हैं , वे प्रायः तन्दुरुस्त रहते हैं।
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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