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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा पनी जीवन-शक्ति की रक्षा करनी चाहिये / सर्दी सबसे भयानक शत्रु है / थोड़ी शीतलता हमारी जीवन शक्ति को बल देती है किन्तु उसकी अधिकता अनिष्टकारी है। सर्दी में कोई भी जीव प्रफुल्लित नहीं होता; न उस में अण्डे फूटते हैं, न अनाज पक सकता है। हमारे जीवन के सच्चे मित्र ये हैं-प्रथम प्रकाश, द्वितीय शुद्ध वायु, तृतीय गर्मी / जहां जीवन है, वहीं गर्मी भी है / उष्णता जीवन देती और जीवन को उत्तेजित करती है / इन दोनों में ऐसा सम्बन्ध है कि हम नहीं कह सकते कि इनमें कौनसा कारण है? वृक्षों के समूह में देखा जाता है कि वे ही पेड़ अधिक काल तक स्थिर रहते हैं जो बड़े दृढ़ और कड़े होते हैं; जैसे बबूल, नीम पीपल, शीशम / छोटे वृक्ष और पौधे थोड़ी ही आयु पाते हैं। इसले परिणाम निकाला जा सकता है कि वे ही मनुष्य अधिक प्रायु प्राप्त कर सकते हैं जो हद और बलवान है। इससे मनुष्य का अपने शरीर को बलिष्ठ और परिश्रमी बनाना अपनी आयु बढ़ाना है / दुर्बल और आलसी अधिक काल तक नहीं जी सकता। थोड़ी उम्र में विवाह कर देना अनर्थकारी है / वीस वर्ष के पहले लड़कों का और चौदह वर्ष के पूर्व लड़कियों का विवाह किसी प्रकार न करना चाहिये / हमारे पुरखा बड़ी आयु तक ब्रह्मचर्य रखते थे, इसीलिये वे दीर्घ जीवी होते थे। ___ ऐसे मनुष्य जो दीर्घ जीवी हुए हैं उनके जीवन की रहन-सहन से पता लगता है कि उनका जीवन सरल रूप से व्यतीत होता था। वे लोग साधारण भोजन करते थे / विना भूख लगे खाते न थे, नशा का सेवन नहीं करते थे, चिन्ताओं से कम घिरे रहते थे।एक बड़े-बूढे ने मरते समय अपने मित्रों से कहाथा--लो, अब मैं
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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