SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 423
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी बाल-शिक्षा (45) गधा-पण्डितजी. लोग एक दूसरे से सुनकर अनपढ़ और निर्गुण आदमी को 'गधा' कहा करते हैं / इससे उस आदमी का कुछ विगड़ता नहीं है / यदि वह समझदार हो तो उलटा प्रसन्न ही हो / क्योंकि गर्दभ जाति में अनेक अच्छे 2 गुण पाये जाते हैं / पर हम इसे उचित नहीं समझते। हम लोग इतने ममताहीन हैं, कि सर्दी और गरमी की परवाह नहीं करते / बहुतेर लोग अपने शिर पर लिए हुए बोझ को उठाने में कातर हो जाते हैं, परन्तु हम अपने स्वामी की इच्छानुसार बोभा उठाने में कमी आनाकानी नहीं करते / और हमारी भद्रता तो सब ही जानते हैं। इसलिए गुणहीन जन गर्दभों की बराघरी नहीं कर सकता। ___ पण्डितजी-निस्सन्देह निगुगा आदमी की उपमा किसी जानवर से भी नहीं दी जासकती / अतः हर एक मनुष्य को अपनी मनुष्यता बनाये रखने के लिए सदगुण अवश्य प्राप्त करना चाहिए। पाठ 18 (2) भगवान् ने दीक्षा लेने के पश्चात् केवलज्ञान की प्राप्ति होने तक लगभग बारह वर्ष का मौन धारण किया था / उस समय वे कठिन से कठिन तपस्या करते थे / वर्षाऋतु के चार महीनों में एक ही जगह इस लिए रहते थे कि वर्षा के कारण अगणित छोटे बड़े, जन्तु पैदा होजाते हैं, उस समय भ्रमण
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy