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________________ (36) सेठियाजैनप्रन्थमाला - अजीर्ण होने का कारण प्रायः सभी जानते हैं। यह पाचनशक्ति से अधिक अयोग्य और असमय में भोजन करने से उत्पन्न होजाता है / एक साथ ज्यादा खा लेना, कच्चा भोजन खाना, पहले खाये हुए भोजन के पचने से पहले भोजन करना, और धीरे 2 चबाकर भोजन न करना भी अजीर्ण का कारण है। इनके सिवा और भी कई एक कारणों से अपच हो जाता है। जैसे-मांस और नशैली चीजों का सेषन, प्रालस्य, अत्यन्त शारीरिक और मानसिक श्रम, चिन्ता और निद्रा न पाना / इन सब कारणों से अजीर्ण जब शरीर को किला बनाकर उसमें घुस रहता है, तो साधारण गोलियां उसका कुछ नहीं कर सकती। _____जब यह रोग होता है, तब या तो दस्त लगने लगते हैं या दस्त बन्द होजाते हैं / दस्त लगने से विना पचा अन्न निकल जाता और आम गिरने लग जाता है / यदि दस्त न हों और कच्चा अन्न न निकले तो पेट फूल जाता है, खट्टी डकारें आती हैं, जी मिचलाता है, उबकाई पाती है, वमन होता है, जिह्वा पर सफेद मैल जम जाता है, छाती और आमाशय में दाह होता है, सिर में दर्द होने लगता है, और कभी 2 खराब 2 स्वप्न आने लगते हैं / इन लक्षणों से अजीर्ण की पहचान होजाती है। ... लोग बहुधा अजीर्ण होने पर मूख-अनुभवहीन वैद्यों की चिकित्सा कराते हैं / वे अनजान चिड़िया हाथ में फँसी देखकर, रोग को बढ़ा 2 कर बयान करते या ठीक बात को जान नहीं पाते / फिर भी औषधि तो करते ही 1 ऐसे अवसर पर पाक के लौंग अत्यन्त लाभदायक है
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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