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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (33) दीक्षा लेते ही भगवान् को मनःपर्याय नामक ज्ञान उत्पन्न होगया / उससे दूसरे के मन की बात जानी जासकती थी। यह पवित्र दिन ईसा के 566 वर्ष पहले मार्गशीर्ष कृष्णा दशमी था / पाठ 13 सब से अच्छा काम. किसी गाव में एक बूढ़ा मनुष्य रहता था / उसने बड़ी मेहनत से बहुतसा धन इकट्ठा किया था। तीन पुत्रों को छोड़ उसके और कोई सन्तान न थी / बुढ़ापे के कारण उसे अधिक दिन जीने की आशा न रही, इससे वह अपना सारा धन अपने लड़कों में विभाजित कर देना चाहता था / परन्तु इसके पहले उसने सब की बुद्धि की जाच करने के लिए एक बहुमूल्य रत्न इस शर्त पर अलग रख दिया कि तीन महीने के अन्दर जो लड़का सब से अच्छा काम कर दिखावेगा उसे वह रत्न दिया जावेगा / यह सुन तीनों लड़के बहुत खुश हुए और अपने अपने काम अलग 2 कर दिखाने में लग गये / ___ कुछ दिनों बाद सब से बड़ा लड़का आकर अपने पिता से बोला-"पिताजी ! एक अपरिचित व्यक्ति ने मुझे मुहरों से भरी एक थैली कुछ दिन मेरे पास रखने के लिए सौंप दी / थैली देते समय उसने मुझ से कोई रसीद भी न ली / यदि मैं चाहता तो उस थैली को बड़ी आसानी से हजम कर सकता था, परन्तु कुछ दिनों के बाद जब वह थैली वापस लेने के लिए आया तो मैं ने
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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