SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 320
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [34] सेठियाजैनग्रंथमाला सने अज शब्द का अर्थ बकरा किया। और कहा-यज्ञ में बकरे का होम करना चाहिये। यह सुन नारद ने कहा- " गुरुजी ने तीन साल का पुराना धान अर्थ बताया था"नारदको भी असली अर्थ याद आ गया, परन्तु अपमानके डरसे हठ न छोड़ा। इस तरह दोनों में मतभेद हो गया और राजा वसु को निपटारे के लिये चुना। शर्त यह रकवी गई कि जिमका कहना अमत्य हो, उसकी जीभ काट ली जाय। यह शर्त पर्वत की माता को मालूम हुई, तो उसने वसु के पास जाकर पुत्र-भिक्षा मांग ली / नारद और पर्वत भी वहीं पहुँचे। बात तो नारद की सच्ची थी, पर पुत्र-भिक्षा दे देने के कारण वसु ठीक बात न कह मका। इसलिये उसने कहा-"अज के दोनों अर्थ होते हैं-"धान अर्थ भी हो सकता है और बकरा भी"। यह सुनते ही देवता ने फोरन ठोकर लगा कर आसन से गिरा कर मार डाला। वह मर कर नारकी दुमपर्वत भी पीछे मरा और वह भी नरक में गया। प्यारे बालको! इस कथा से तुम्हें यह मालूम हो गया होगा कि झूठ बोलने से कितने अनर्थ होते हैं / अगर राजा वसु झूठ न बोलता तो वह नरक के डरावने दुःख न सहता / और लाखों पशुओं की हत्या
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy