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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा देकर फिर फोड़ डालीं- खजाना बताकर कोयले दिखलाए / इस प्रकार चिल्ला 2 कर दूसरे के मुंह की और ताकने लगा। वह भी उसके कपटाचार को ताड़ गया / वह ऊपर फट्टी बोला--मित्र! खेद न करो, खेद करने से खज़ाना वापस नहीं आ सकता / इसके अनन्तर दोनों दोस्त अपने घर चले गये। कुछ दिन पश्चात उमने मायाचारी मित्र की एक मृत्ति बनवाई तथा दो बन्दर पाले / वह मूर्ति साक्षात मृतिमान ही थी। उसने मृति की गोद में हाथों मंशिर पर और इधर उधर कुछ खाना बिखेर दिया / बंदर भूखे थे, झटपट लपके और मारा खाना खागये। इस प्रकार वह प्रतिदिन करता था; इससे बन्दरों को आदत पद गई थी। इसके अनन्तर किसी त्योहार के दिन उसने मायावी के दांना लड़कों को भोजन के लिए निमंत्रित किया। दोनों लड़के भोजन के समय आये। उन्हें खूब आदर सत्कार से भोजन कराया। भोजन कराने के बाद किमी आरामकी जगह उन्ह छिपा दिया। जब कुछ दिन बीत गये,तब उसका मित्र अपने लड़कों को लिवाने आया। दसरा उससे बोला-"मित्र तुम्हारे दोनों लहके बन्दर हो गये हैं। यह सुनकर वह खिन्न
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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