________________ %E हिन्दी-बाल-शिक्षा. (तीसरा भाग) पाठ पहला। महावीराष्टक. है श्रेष्ठतर कुण्डलपुरी अमरावती से भी कहीं, कुण्डलपुरी के साथ से बड़भागिनी यह है मही। जिनवर जहां प्रकटे स्वयं वन्दित न हो कैसे वही, क्या स्पर्श पारस का मिले तो स्वर्ण हो लोहा नहीं। (2) त्रिशला सती वन्दित न हो किस भांति इस संसार में, त्रैलोक्य वन्दित आ वसा जिसके उदर-पागार में / पद्यपि जगत सुरभित हुआ है मलय के गुणग्राम से पर कौन परिचित है नहीं मलयाद्रि के शुभ नाम से॥