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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (49) साथ उस नेवले को सुला दिया और वह पानी भरने कुँए चल दी। ब्राह्मणा घर पर था / वह भी किवाड़ खुले छोड़ किमी जजमान के यहां चला गया। घर सूना होगया / इतने ही में एक काला सांप छत से खाट पर आ गया / सांप को आया देख नेवला उससे लड़ा और अन्त में उसके टुकडे 2 कर डाले। उसका मुंह खून से भर गया था। वह अपनी बहादरी बताने के लिए ऐसे ही दोडकर ब्राह्मणी के पास पहुँचा। ब्राह्मणी ने खून भरा मुँह देख, सोचा- बेशक इस नेवले ने हमारे बच्चे को मार डाला होगा। उसने गुस्से में आकर पानी भरा हुआ घड़ा उसके ऊपर पटक दिया। इससे उसकी मृत्यशोगई। ब्राह्मणी ने घर आकर देखा-- बालक आनन्द में सो रहा है और साप के छोटे छोटे टुकड़े एक तरफ पड़े हुए हैं। यह देखकर वह राने पीटने और अपने आप को कोसने लगी / लेकिन अब क्या हो सकता था? उस दिन से उसने निश्चय किया कि ग्रागे कोई भी काम विना विचार कभी न करूंगी। लड़को ! हम मनुष्य है / मनुष्यों में विशेष ज्ञान होता है / ज्ञान का फल यही है कि हम हर एक कार्य
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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