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________________ हिन्दी बाल शिक्षा : सागरदत्त बोला-मेरा हृदय क्रोध से भर गया है, मैं इसे कैसे सफल करूं? माता ने कहा-बेटा! सब जगह क्रोध को सफल म करना चाहिये। माता का यह उपदेश सुनते ही सागरदत्त ने पन्दी को छोड़ दिया। वह अपराधी भी उन दोनों के पैरों में गिर पड़ा, और घार २क्षमा मांगकर अपने घर चला गया। ___प्यारे बालको हमें चाहिये कि क्रोध को सदा दयाते रहें। क्रोध से बड़े 2 अनर्थ होते देखे जाते हैं। क्रोधी को सुध बुध नहीं रहती। परिणामों को शान्त रखने से सुख होता है / कहा भी हैनिश्चय करि जाने सबै, क्रोध पाप को मूल। है जाके आधीन नर, सहे महा दुख शूल। . पाठ 18 वा. समय / किसी जगह एक तालाब था / वह खूब लम्बा चौड़ा था। उसमें पहुन से जलचर जानवर रहते थे।
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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