________________ सेठियाजैनग्रन्थमाला वाली चीजों को न तो देखो, और न छुओ / दुर्गन्धित चीजों को मत सूबो और अत्यन्त हँसो भी नहीं। भोजन के बाद बुरी चीजें देखने, सूंघने और जोर से हँसने से उलटी हो जाती है / (24) अत्यन्त जल पीने, एक आसन पर बैठे रहने, दिशा- पेशा और अधोवायु आदि के वेगों को रोकने और रात को जागने से, समय पर किया हुआ अनुकूल और हलका भोजन भी नहीं पचता, और रोग पैदा होता है। (25) भोजन करने के बाद गर्मी के मौसम के सिवा और मौसम में सोना अहितकारी है, सुश्रुत में लिखा है कि-" दिन में सोना विकार रूप है, दिन में सोने वालों के पाप कर्म का बंध होता है तथा वात पित कफ और रक्त का प्रकोप होता है, और उन के प्रकोप से खासी, श्वास जुकाम, सिर का भारीपन, अंगका टूटना, अरुचि, ज्वर और मंदाग्नि हो जाती है, इसलिए दिन में नहीं सोना चाहिये। (26) मनुष्य को भोजन करके परिश्रम करना और नींद भरकर सोना, दोनों बातें हानिकारक हैं। भोजन के पीछे सौ कदम टहल कर लेट जावे / पहले सीधा सोकर आठ सांस ले, फिर दाहिनी तरफ करवट लेकर सोलह सांस ले और पीछे बाई करवट लेकर बत्तीस सांस ले / इस तरह 8 / 16 / 32 सांस लेने के बाद फिर चाहे सो काम करे / प्राणियों की नाभि के ऊपर बाई तरफ अग्नि का स्थान है, इस कारण भोजन पचाने के लिये बाई करवट ही सोना चाहिये / बाई करवट सोने से बुद्धि बढ़ती है। ..