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(४) योतिषी । वैमानीक । ए चउ दंडके त्रण्य शरीर । वैक्रीय तेजस ! कार्मण, पृथ्वी, पानी, अमि, वनस्पती, बेइंद्री, तेइंद्री, चउरिंद्री, । ए सात दंडके वण्य शरीर । उदारीक, तेजस कार्मण, वायु काय, तीर्यच पंचेंद्री, ए बे दंडके । आहारक विनाचार शरीर । मनुष्यने पांच शरीर ॥ ३ ॥
॥ चोथु अवगाहना द्वार कहे छे॥ हवे समुच्चे नारकीनी । अव गाहना । अघन्य, आंगुलनो असंख्यातमो भाग । उत्क्रष्टी पांचसे धनुषनी । प्रथम नरके, जघन्य तीन हाथ, उत्कृटी पुणा आठ धनुषने ६ आंगुल । बीजी नरके जघन्य पुणा आठ धनुषने ६ आंगुल । उत्कृष्टी सादा पन्नर धनुषने बारा आंगुल । त्रीजी नरके जघन्य सादा पनर धनुष ने बारा आंगुल । उत्कृष्टी सवा एकत्रीस धनुषनी। चौथी नरके जघन्य सवा एकत्रीस धनुष । उत्कृष्ट सादी