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सात आठ भव करी मोक्ष जाय हवे । छठो गुणठाणानो लक्षण कहे छे तेहनी प्रकृती १५ इग्यारे पाछे कही ते, अप्रत्याख्यानी क्रोध 3, मान २, माया ३, लोभ ४, एम १५, प्रकृती खयोपसम करे त्यारे छठे गुणठाणे आवे जीवादिक नव पदार्थ नो जाण हुवो द्रव्य थकी जावजीव थकी नोका रसी आदि देई वरसी तप सरदवो शक्ति प्रमाणे करवो त्यारे श्री गोतमश्वामी कहता हुवा एनो गुण एह निपन्यो जघन्यतो एहीजभवे मोक्ष जाय उत्कृष्ट सात आठ भव करी मोक्षजाय | हवे सात मा गुणठणानो लक्षण कहे छे प्रकृती १५, पाछे कहीते खयोपसम एटलो विशेष मद विष कसाय निंदा विगहा ए पंच भणी परमाद जीव पडती संसारे ए पांच प्रमाद छांडे त्यारे सातमें गुणठाणे आवे जीवादिक नव पदार्थनो जाण नोकारसी देई वरसी तप करे त्यारे श्री गोतमश्वामी पूछता हवा उत्तर जघन्य एहीज भवे मोक्ष जाय अथवा