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(४५) अर्ध पुद्गल भोगवानो रह्यो अर्धा रुपयानोदृष्टात जेम कोई पुरुष कोड़ रुपयानो देवादार हतो ते नवाणुं लाख नवाणुं हजार नवसे साड़ा नवाणुं दीधा अर्धा रुपयो रह्यो । हवे त्रीजा गुणठाणानो लक्षण कहे छे । त्रीजो मिश्र गुणठाणो तेहनो दृष्टांत जेहवो श्रीखंडनो स्वाद मीठा समान तो समकित अने खाटा समान तो मिथ्यात्व अथवा अनादि कालनो उलटो हतो तेहनो सुलटो थयो समकित सामो बेटो पण पग भरवा समर्थ नहीं तेहने मिश्रगुणठाणो कहिये त्यारे श्रीगोतमस्वामी पूछता हवा स्वामीनाथ एहने शुं गुण निपन्यो त्यारे स्वामीनाथ बोल्या गुण एह निपन्यो अनादि कालनो कृष्ण पक्ष हतो तेहनो शुक्ल पक्ष थ्यो अर्ध पुद्गल भोगवणा रह्या अधेलीनो दृष्टांत जा. णवो । हवे चोथा गुणठाणानो लक्षण कहे छ । तेहनी प्रकृति (७) अनुतानुबांध्यो क्रोध, मानर, माया ३, लोभ ४, मिथ्यात्व मोहनी ५, मिश्र