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(१२) आहारक मिश्र काया योग, कार्मण काया योग, नारकी, दस भुवनपती,व्यंतर, योतिषी, वैमानिक, ए चउद दंडके ग्यार योग होय ॥ मनना चार, वचनना चार, कायाना तीन । वैक्रिय कायायोग, वैक्रिय मिश्र काया योग, कार्मण काया योग ॥ पृथ्वी, पाणी, अमी, वनस्पती ने तीन योग । उदारिक, उदारिक मिश्र काया योग, कार्मणकाया योग, वायु ने पांचयोग, उदारिक, उदारिक मिश्र, वैक्रिय, वैक्रिय मिश्र, कार्मण, विकलेंद्रीय ने चार योग। उदारिक, उदारिक मिश्र, कार्मण ये तीन योग तथा असत्य मृषा वचन योग ये चार योग होय ॥ तीर्यच पंचेंद्रीने तेर योग होय, मननाचार, वचनना चार, कायाना पांच, उदारिक, उदारिक मिश्र, वैक्रिय, वैक्रिय मिन, कार्मण, म. नुष्य ने पन्नर योग होय ॥
॥ पन्नरमुं उपयोग द्वार कहे छे ॥ उपयोग बार ना नाम। पांच ज्ञान । मती ज्ञान,