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________________ २८ 4.9 पंडुमडुरं संपत्थिय कोसंबवणकाणणे नग्गोहवरपायवस्स अहे *" पुढविशिलापट्टए पीयवत्थपच्छाइयसरीरे जराकुमारेणं तिक्खेणं कोदंडविपमुक्केणं इसुणा वामे पादे विद्धे समाणे कालमासे कालं किच्चा तच्चाए 5 वालुयप्पभाप पुढवीप उज्जलिए नरए नेरइयत्ताव उबवज्जहिसि 1 "" तप णं कण्हे वासुदेवे अरहओ अरिट्ठमिस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा निसम्म ओहय० [जाव] शियाई । कण्हाइ !” अरहा अरिठ्ठणेमी कण्हं वासुदेव 10 एवं वयासी " 'माणं तुमं देवाणुपिया ! ओहह्य० [ जाव] झियाहि । एवं खलु तुमं दवाणुप्पिया ! तच्चाओ पुढबीओ उज्जलिआओ अनंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुदीवे भारहे वासे आगमेसाप उस्सप्पिणीप पुंडेसु 1 जणवपसु सयदुवारे बारसमे अममे नामं अरहा भवि 15 ससि । तत्थ तुमं बहूई वासाई केवल परियागं पाउमेत्ता सिज्झिहिसि [५] | 5 "" तप णं से कण्हे वासुदेवे अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ [0] अप्फोडेइ । अप्फोडिसा वग्गइ । वग्गिसा तिवई छिंदइ । 20 छिदित्ता सीहणायं करेइ । करिता अरहं अरिट्ठणेमिं वंदइ नमसइ | वंदित्ता नमंसित्ता तमेव अभिसेक्क हथि दुरूह । दुरूहित्ता जेणेव बारबई नयरी जेणेव सप गिहे तेणेव उवागए । अभिसेयरयणाओ पञ्चोरूहइ । जेणेव बाहिरया उवठ्ठाणसाला जेणेव सर सीहासणे 49 CD अधे ABE अहे. 50 A reads णंतरं othrs अनंतरं 51 A alone पुण्णेसु BCDE पुंडेसु.
SR No.023493
Book TitleAntagadanuttarovavaiyadasao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM C Modi
PublisherGurjar Granth Ratna Karyalay
Publication Year1932
Total Pages354
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, agam_antkrutdasha, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size18 MB
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