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________________ [जाव] विहरइ । तस्स णं कण्हस्स वासुदेवस्स पउमावई नाम देवी होत्था 6 [वण्णओ] । तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठणेमी समोसढे [जाव] विहरइ । कण्हे वासुदेवे निग्गए [जाव ] पज्जुवासइ । तए णं 5 सा पउमावई देवी इमीसे कहाए लद्धट्ठा हट्ट [0] (जहा देवई [जाव) पज्जुवासइ । तए णं अरहा अरिट्ठणेमी कण्हस्स वासुदेवस्स पउमावईए य धम्मकह।। परिसा पडिगया। तए णं कण्हे वासुदेवे अरहं अरिडणेमि वंदइ 10 नमसइ । वंदित्ता निमंसित्ता एवं वयासी । “ इमीसे णं भंते ! बारवईए नगरीए नवजोयण [जाव] देवलोगभूयाए किंमूलाए विणासे भविस्सइ ?" "कण्हाइ !” अरहा अग्ढिणेमी कण्हं वासुदव एवं वयासी " एवं खलु कण्हा! इमोसे बोरवईए नय15 रीए नवजोयण [जाव]० भ्याए सुरग्गिदीवायणमूलाए विणासे भविस्सइ।" कण्हस्स वासुदेवस्स अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतिए एयं सोच्चा निसम्म एय अब्भत्थिए [४] "धण्णा णं ते जालिमयालिपुरिससेणवारिसेणपज्जु20 ण्णसंबअणिरुद्धदढणेमिसच्चणेमिप्पभियओ कुमारा जे णं चइत्ता हिरणं [जाव] परिभाइत्ता अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतियं मुण्डा [ जाव ] पव्वइया । अहण्णं 46 A हुत्था; others होत्या. 47. A पव्वइये others पन्वइया; also in the preceding line E परिभाइत्ता ABC परिभाएत्ता D. परिभायत्ता.
SR No.023493
Book TitleAntagadanuttarovavaiyadasao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM C Modi
PublisherGurjar Granth Ratna Karyalay
Publication Year1932
Total Pages354
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, agam_antkrutdasha, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size18 MB
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