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________________ स्वयंभूच्छन्दः त्रिभङ्गी (द्विपदी + अवलम्बक + गीति) R. 3 S. also द्विपदीखण्ड त्रिवलीतरंग 6.71; R. 109 (10-17) च : दीपिका P. 3.11 (28)च दीर्घक R. 218 (38; Y. 14-8) द्वि. S. रतिरमणप्रिय . दोहक 6.90; R. 129 (14-12) च S. द्विपथक द्विपथक 4.5; R. 9 (14-12) च S. दोहक द्विपदीखण्ड (अवलम्बक + अवलम्बक + गीति) P. 4.1 S. also त्रिभङ्गी .... द्विपदीगण R. 229 S. गणद्विपदी . द्विभङ्गी (द्विपदी + गीति) P. 4.2; R. 2 धवल अष्टपाद् 4.17; R. 22 (14-12-14-12-11-10-11-10) अ धवल चतुष्पाद् R. 24 (14-16 or 17) च S. also चतुष्पाद धवल धवल षट्पाद् (1) 4.18 (18-12-12) ष S. षटपाद् धवल धवल षट्पाद् (2) R. 23 (14-8-16 or 17) ष S. षट्पाद् धवल धवल R. 28 (a general term) ध्रुवक 8.3 (9) च नर्कुटक P. 3.6 (22) च नवकदलीपत्र 6.145; R. 189 (32; Y. 14.8) द्वि नवकदलीपत्रा 6.146; R. 190 (32) द्वि नवकुसुमितपल्लव R. 75 (6-17) च नवचम्पकमाला 6.34; R.70 (14-8)च नवपुष्पंधय R. 117 (11-14) च S. वनफुलंधुय नवरङ्गक 6.156; R. 202 (34; Y. 16.8) द्वि नवविद्युन्माला 6•69; R. 107 (10-16) च . नागकेसर 6.32; R. 68 (13-8)च पङ्कज 6.4; R. 40 (9-7)च पङ्क्ति R. 154 (15-16) च:S. मुखपङ्क्ति - पङ्कजश्री 6.12; R. 48 (13-7).च पञ्चताल 8.22 8. note पञ्चाननललिता R. 200 (12-10) च S. F. N. on p. 74 पथ्या गाथा P. 1.5 (30-27) द्वि . पद्धटिका 6.129; 8.15; R. 173 (16) च पल्लवच्छाया R. 145 (17-13) च S. अशोकपल्लवच्छाया पवनध्रुवक 6.155; R. 201 (34; Y. 14.6) द्वि पादाकुलक P. 5.1; R. 171 (16) च पारणक 6.128; R. 170 (15) च पुण्यामलक R. 73 (8-16) च S. प्रज्ञामूल पुष्पास्तरण 6.40; R. 76 (17-8) च S. कुसुमास्तरण पूर्वपथ्या गाथा P. 1.5 (S. note) च प्रज्ञामूल 6.37 (8-16) च S. पुण्यामलक
SR No.023463
Book TitleSwayambhuchand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH D Velankar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1962
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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