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III. INDEX OF SANSKRIT STANZAS OR LINES QUOTED IN THE
COMMENTARY
N. B.-The first figure refers to the chapter, the second to the serial number of the quotation, except in chapter 4 where it refers to the stanza under which the quotation (whose serial number is mentioned immediately after it) occurs. The last figure refers to the page.
अन्यदा भूषणं पुंसः अमन्दवेदनोत्पादि इयं सखे चन्द्रमुखी उत्तुङ्गस्तनकलश उत्साहवदनहेला एकैव भवति पथ्या एतासां राजति कटुतिक्तोष्णमगुरु कामिनीभिः सुखं संगः कुलीनाः सरसाः कूजकोयष्टि कौटिल्यपटवः पापाः क्वनिकाले प्रसरता क्वचित्तु पदमध्येपि क्षणविध्वंसिनि गतः स कालो गीतीनां त्रयमित्थं तमोलीदानि भुवना तव हियापहियो तुल्येपराधे स्वर्भानुः तैरेव धवलव्याजात् दीनायां दीनवदनो दुःखं मे प्रक्षिपति दृशा दग्धं मनसिजं दोषनिचयधानो द्रष्टव्यो यतिचिन्तायां द्विजातिजा विकल्पाः धनं प्रदानेन नमः कलितम
4.123.33; 60
1.15%; 5 4.124.1; 60 1.16%
B5 2.82%; 37 2.44; 18 1.19; 5
2.60%; 26 4.125.3; 61
1.13; 5
1.1835 4.126.3; 61 4.127.4; 62 ___1.22; 5 4.126.1; 61 4.122-2; 60
2.45%3 18 1.26%3 6
1.18; 4 4.127.5%; 62
2.83; 37 4.123.23; 60
1.29%; 6 4.123.1; 60
1.30; 6 1.23%3 6 2.59; 26
1-9; 4 1.113 4
नित्यं प्राक्पद नोत्साहं कुर्वते पद्यं चतुष्पदी तच्च परदोषपुरीषाणि पूर्वान्तवत्स्वरः प्रणमत भवबन्ध महाकवि कालिदास यतिः सर्वत्र पादान्ते यत् किंचिदृश्यते येन हता पादेन रथा रम्या ऐरा लावण्यसलिलसंकुल लीलासिताब्जमुत लोकवत् प्रतिपत्तव्यो वंशस्थकादि वज्रादपि कठोराणि वधूमिः पीतस्तनीभिः वन्दे कविं श्रीभारविं शंभुं नत्वा श्रोत्रे सति न शृणोति सर्वातिरिक्तं सर्वाशुचिनिधानस्य सुनिश्चितं नः परतन्त्र सुवर्णपुष्पां पृथिवीं स्कन्धे विन्ध्याद्रि स्पृष्टं त्वयेत्यप स्यादस्थानोपगत स्वादु स्वच्छंच सलिल
1-27; 6 1.14; 5
3.1; 50 1.12; 4 1.23; 5
1-20; 5 4.125-25 61 . 1.21; 5
4.1; 57 4.127.1; 61 1.1735
2.4; 8
1.10; 4 4.127-33; 62
___1.2; 2 4.122.39 60 4.125.1; 61 4.127-2; 62
1.13 1 4.126.2; 61 4.122.13 60 4.124.3; 60 .. 1.1; 1 4.124.2; 61
1.25; 6
1.7; 4 1.24; 6 1.28; 6