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धातु. Sg. ५४. समूह न२. सरत अर्थ.
ગુજરાતિ અર્થ:
स्तम्भ
3८६ प्रतिबन्धने सौत्र | रोधने धारणे च
थोल. मट. અટકવું. ધારણ કરવું.
सौत्र
"
"
स्ति
हो.
१८ आस्कन्दने | क्षरणे आर्दीभावे
स्तिम् स्तीम्
स्तु स्तुच् स्तुप् स्तुभ् स्तम्भ
૧૭૫
ખરવું. | लानु थपुं. ५६ung. स्तुति ४२वी. પ્રસન્ન થવું. १ . थाल. मट. અટકવું. ધારણ કરવું.
स्तुतौ प्रसादे समुच्छ्राये स्तम्भे रोधने धारणे च
१३८ 3८४
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स्तु
स्तृक्ष
org. હિંસા કરવી. ५सरा. ढisg.
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यार. विट.
स्तोम्
| आच्छादने | गतौ | हिंसायाम्
आच्छादने ३६४
चौर्ये ६५ क्षरणे ८२२ वेष्टने 360 श्लाघायाम्
| शब्दसंघातयोः
स्थाने ८२८ गतिनिवृत्ती
| संवरणे अदन्त । ३७१ परिबृंहणे
निरसने ४२ शौचे
स्थल
स्था
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| સ્તુતિ કરવી. | શબ્દ કરે. ઉભા રહેવું.
माहे.(तिरीवी). disg. જાડું થવું.
स्नस्
स्ना
.
शुद्ध ४२. ना. પ્રીતિ કરવી.
८४ स्नेहे
4
स्न
स्पन्द्
स्पर्ध
प्रस्रवणे
अदने आदाने अदर्शने च मा. स. न . ८3 | उद्गीरणे ८२३ वेष्टने शोभायां च ઢાંકવું. શોભા વધારવી.૧૪ किंचिच्चलने
थोडडादथा .
જીતવાની ઈચ્છા કરવી. ८८७ बाधनस्पर्शनयोः पी. गुथषु. १४७ ग्रहणसंश्लेषणयोः से भग. [२. १३ | प्रीतिपालनयोः
પ્રીતિ બાંધવી. પાલન ક| १४२ संस्पर्शने | 24 .
| संघर्षे
स्पश्
स्मृ