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________________ शुद्धिपत्र. पानु. elen. अशुद्ध ___ शुद्ध पानु:/टी. अशुद्ध शुद्ध पश्य अर 2 + | ओं, यों पश्य कामयति कामयते निज् , निनिक्षते तिज , तितिक्षते मिमांसते मीमांसते स् स्वप् स्वप, श्वसू વિકારક અવિકારક न नाण न नाण् પૂર્વનાશિવા सू, सो, परिष्करोति परिप्करोति + म्री भ्री थम्भ ज्ञप्-यम् ज्ञप्, चप् , यम् जन ज भ + ne वय, द | उत्थ्थम्भ उत्थ्तम्भ प्रत्यङ । त्मा प्रत्यङात्मा पछीश पछी, श् सरूः त्सरुः | आम आम | अतुस अतुस् उस स्ताम स्ताम् १०७७ ૧૦૭૮ जक्ष् , चकास् । शासना शास्(५२२भैपट्टी)ना -- પક્ષભૂતના भवि२४. અવિકારક. उस् विव्य विव्यय ऊना उव | ऊना + + + विभाय, विभय + + + आधिजगे जिय विभरांचकार | બીજે बिभाय, बिभय अधिजगे जिह्रय बिभरांचकार भीनमधे. स्ना, स्नै शो, से पा, पै + + चात् + + + + पप्त अस्थ् अस्थ माला ४ाय अजनबीधायछन की ने घात्,शद् शात् |सोसुप्य सोषुप्य माला धनय धनाय उदकीय उदकीय बिद्वस्य विद्वस्य भापय, भादय . मापय, मादय गणेष्व गणन्तम + भाज भ्राज भ्राष् ने भ्रास् भाष् ने भास् योध् , लोप ,न अभ्र अचू चापयु चापय सवय स्रावय +5 इष " | १४ तिष्ठ જ્યારે न्यारे अय ..
SR No.023460
Book TitleSanskrit Bhasha Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakordas Jamnadas Panji
PublisherThakordas Jamnadas Panji
Publication Year1867
Total Pages366
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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