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• जे अहम अहम-अहमा
(चौदहवाँ कुलग) (छः प्रकार के पुरुष) • पंचगुडभऽजुन्बण
(पन्द्रहवाँ कुलग) (सर्वोत्तम पुरुषों का वर्णन) • आजम्भवभयारी
(सोलहवां कुलग) • एवंविहजुवइगओ
(सत्रहवाँ कुलग) (उत्तमोत्तम पुरुषों का स्वरूप) • जम्माम्मि तम्मि न प्रणो (अठारहवाँ कुलग) • पिच्छिय जुवईरूवं
(उन्नीसवाँ कुलग) (उत्तम पुरुषों के लक्षण-१२५) • साहू वा सहो वा
(बीसवाँ कुलग) • पुरिसत्थेसु पवट्ठा
(इक्कीसवाँ कुलग) (मध्यम पुरुषों का स्वरूप-१२६) • एएसिं पुरिसाणं
(बाईसवाँ कुलग) (चार भेद वाले मनुष्यों की प्रशंसा का फल-१५६) • पासत्थाऽऽइसु अहुणा
(तेईसवाँ कुलग) (सभा के मध्य में निन्दा अथवा प्रशंसा प्रसंग-१६३) • काऊण तेसु करुणं
(चौबीसवाँ कुलग) (अधमाधमों को उपदेश देने की तरकीब-१६६) • संपइ दूसमसमए
(पच्चीसवाँ कुलग) (बहुमान-प्रसंग-१७०) • तनु परगच्छि सगच्छे
(छब्बीसवाँ कुलग) (स्वगच्छ अथवा परगच्छ के गुणी साधुओं पर अनुराग-१७२) गुणरयणमंडियाणं __ (सत्ताईसवां कुलग) (गुणों के बहुमान से गुणों की सुलभता-१७५) एयं गुणाणुरायं ___ (अट्ठाइसवाँ कुलग) (गुणानुराग का फल-१८४) बिन्दु-बिन्दु विचार
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