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________________ सदाचारो न्याय इति।" अर्थात् स्वामिद्रोह, मित्रद्रोह विश्वस्तपुरुषों का वञ्चन और चोरी आदि निन्दित कर्मों से द्रव्य उपार्जन करना इत्यादि कुकर्मों का त्यागकर अपने अपने वर्णानुसार जो सदाचार है, उसका नाम न्याय, और उससे प्राप्त जो द्रव्य है, उसका नाम 'न्यायसंपन्न द्रव्य' है। न्यायोपार्जित द्रव्य उभय लोक में सुखकारक और अन्यायोपार्जित द्रव्य दुःखदायक होता है। अन्याय से पैदा की हुई लक्ष्मी का परिभोग करने से बधबन्धनाऽऽदि राजदण्ड, और लोकापमान होता है, और परलोक में नरक तिर्यञ्च आदि दुर्गतियों में वेदना का अनुभव करना पड़ता है। लोगों में यह भी शड़ा होती है कि इसके पास बिलकुल द्रव्य नहीं था, तो क्या किसी को ठगकर या चोरी करके द्रव्य लाया है ? कदाचित् प्रबलपुण्य का उदय हुआ तो इस लोक में तो लोकापमान या राजदण्ड नहीं होगा, किन्तु भवान्तर में तो उसका फल अवश्य ही भुगतना पड़ेगा। यह तो निःसंशय कहा जा सकता है कि जो अन्यायोपात्त द्रव्य का परिभोग करता है उसकी सुबुद्धि नष्ट होकर अकार्य में प्रवृत्ति करने को बुद्धि दौड़ा करती है इसी विषय को दृढ़ करने के लिये शास्त्रकारों ने यह उदाहरण दिया है कि __ किसी राजा ने राजमहल बनाने के लिये ज्योतिषियों को बुलाकर कहा कि खातमुहूर्त किस रोज करना चाहिये? कोई ऐसा मुहूर्त निकालो, जिससे कि हमारी संतति राजभवन में रहकर सुखपूर्वक चिरकाल तक राज्य करे। राजा के पूछते ही ज्योतिषियों ने सर्वोत्तम खातमुहूर्त निकाल दिया। मुहूर्त के एक दिन पेस्तर नगर में यह उद्घोषणा कराई गयी कि कल राजमहल बनाने का खातमुहूर्त है, इसलिये वहां सभी को हाजिर होना चाहिये। इस उद्घोषणा को सुनकर दूसरे दिन सेठ साहूकार आदि सैकड़ों लोग इकट्ठे हुए। राजा ने ज्योतिषियों से कहा कि अब मुहूर्त में कितना समय घटता है ?| ज्योतिषी बोले कि चार घड़ी। राजा ने कहा यदि इस समय में कोई वस्तु विधि कराने के लिये चाहिये तो कहो। ज्योतिषियों ने कहा-महाराज! खातमुहर्त के वास्ते पाँच जाति के पाँच रत्न चाहिये, जो कि न्यायोपार्जित हों। राजा ने अपने भंडार से लाने को कहा। इतने में ज्योतिषियों ने कहा कि राजन् ! श्री गुणानुरागकुलक १३१
SR No.023443
Book TitleGunanuragkulak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinharshgani, Yatindrasuri, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashak Trust
Publication Year1997
Total Pages200
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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