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________________ ४३१ महासती सीतानी कथा. करवा चाल्यो. लक्ष्मणे पण कौतुकथी तेउनी साथे युद्ध करवा माटे रामनी आज्ञा मागी. रामे “ ज्यारे तने संकट पडे त्यारे सिंहनादथी मने खबर आपजे.” एम कहीने रजा श्रापी, तेथी लक्ष्मण गरुम जेम सपोने मारवा तैयार थाय तेम राक्षसोने मारवा माटे तैयार थयो. पली चंपनखा पतिनी सहाय करवानी श्छाथी त्रिकुट पर्वत उपर जइने रावणने कहेवा लागी. “हे बंधो! दंडकारण्यनेविषे दशरथ राजाना बे पुत्रो श्रावेला बे. तेमणे त्हारा नाणेजनुं बलिदान यमराजाने आप्यु बे, जेथी क्रोध पामेलो त्हारो बनेवी केटलाक राक्षसोने लश् तेउनी साथे युक करवा गयो बे; पण तेउनी साथे तो निर्जय एवो लक्ष्मण एकलोज युक करे डे अने राम तो लक्ष्मणना शौर्य तथा पराक्रमथी गर्वने धारण करतो तो हस्तिनी पेठे सीता नामनी पोतानी स्त्रीनीसाथे मरजी प्रमाणे क्रीडा करे . वली हे बंधो ! त्हारे घरे सीताना सरखं स्त्रीरत्न नथी तेमज पुर्मद एवा राम अने लदमण हाराथी जिताय तेम पण नथी; जेथी त्हारी बडा टिंटोडाना सरखी मानुं बुं.” ए प्रकारनां चंजनखा ब्हेननां वचन सांजलीने कामातुर थयेलो रावण तकाल पुष्पक वैमानमां बेसीने दंडकारण्यमां श्राव्यो. त्यां तेणे रामनी पासे बेठेली सीताने दीठी, पण हरण करवाने समर्थ थयो नहीं. तेथी ते सर्प जेम नागदमणथी दूर उनो रहे तेम दूर उनो रह्यो. ___ पनी रावणे स्मरणथी अवलोकिनी विद्याने बोलावीने कयु के, “तुं सीतार्नु हरण कर.विद्याये कह्यु.” त्हारीश्राझाथीमने कां अशक्य नथी; तोपण तने उपाय बताईं डं के, “ रामने आने लक्ष्मणने सिंहनादनो संकेत बे; माटे सिंहनाद करवाथी राम सीताने मूकी लक्ष्मणनी पाबल जशे एटले सीतार्नु हरण करी सकाशे.” रावणे ते वातनी थाज्ञा आपवोथी अवलोकिनी विद्याए सिंहनाद कस्यो, ते सांजलीने राम "अरे था शुं ?" एम कहेवा लाग्या. सीताये कयु. “ हे स्वानिन् ! हजु वार केम करोगे? ऊट जाउँ अने संकटथी लक्ष्मण, रक्षण करो." ए प्रकारे सीताये बलात्कारे कहेवाथी राम तत्काल धनुष्य बाण लश्ने लाणनी पाबल चाल्या. पड़ी रावणे पृथ्वी उपर उतरीने लक्ष्मणनी चिंताथी थाकुल व्याकुल
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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