SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 299
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शएर कमलानी कथा. क्यां ? श्रा स्थान क्यां? म्हारं घर क्या ? श्रने म्हारी मिश्रा क्या? था ते इंग्रजाल डे के खप्न ? ते म्हारा प्राणनाथ क्यां गया?" था प्रमाणे बोलती अने आकुल व्याकुल थ गयेली ते कमलाना पगमां पडीने कीर्तिवर्डने कह्यु के, “ हे जसे ! हुं कीर्तिवर्धन त्हारो पति बु. श्रा घर, श्रा स्थान, श्रा सघली संपत्ति अने बीजुं जे कांश ले ते सघ_ हारुंज डे. वली हुँ पण त्हारी आज्ञा प्रमाणे चालनारो .” कमलाए कोप करीने कद्यु. “अरे पुरात्मन् ! फुलनेविषे कलंक वधारनारो तुं कोण म्हारी सामे उन्नो ढुं ? जेम कागडो राजहंसीने जोगववानी श्छा करे डे तेम उर्बुकि एवो तुं रतिवहन राजानी पतिव्रता स्त्रीने जोगववानी श्छा करनारो कोण ढुं ? अरे! तुं जट मने म्हारा घरनेविषे पहोचती कर; नहिं तो म्हारा पतिनां बाणो त्हारा माथार्नु दश दिशामां नूतोने बलीदान श्रापशे.” कीर्तिवर्कने पण वचनरूप लाकडीवडे प्रहार करतां कडं के, " गजराज जेम वेलना समूहने तोडी पाडे तेम हुँ हारा सतीपणाने हवणांज जांगी नाखुं बु.” या प्रमाणे तिरस्कार करता एवा तेणे जाणे कर्मथी उत्पन्न थएला पुजलो होय नहिं ? तेम लोढानी सांकलवडे सर्व अंगे बांधीने ते कमलाने जाणे कामधेनु होय नहिं ? एम गुप्त स्थानके राखी. __ हवे अहिं सोपारपुरमा रतिवद्वज राजाए सवारे शय्याथी उठीने जोयुं तो जाणे चोर लोकोए सर्व प्रकारे चोरी करी होय नहिं ? एम पोतानी कमला प्रियाने दीठी नहीं थाम तेम जोयु; परंतु को ठेकाणे प्रियाने दीठी नही; तेथी जाणे वृक्षथी नूलो पडेलो वांदरो होय नहिं ? एम तेणे चोकीदारोने पूज्यु. तेउए पण विस्मय पामीने कयु के, "महाराज ! देवीने पगे चालीने जता श्रमे को ठेकाणे जोया नथी. वली अमे सवारसूधी बराबर जागता रहीने चोकी करी जे." __ पड़ी रतिवन राजाए दूत विगेरेने मोकली बीजा छीप अने राज्यस्थानोमां शोध करावी; परंतु को ठेकाणेथी कमलानी शोध मली नहीं. कडं डे के-शानथी जाणी शकाय एवी वस्तुउने बाह्य चलुवाला शी रीते जो शके ? पड़ी धर्मनेविषे चतुर एवा ते राजाए मनमां निश्चय कस्यो के, “निश्चय कोश विद्यादि सिह पुरुषे म्हारी प्रियानुं हरण
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy