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________________ श६ शीलोपदेशमाला. प्रगट कखु; जेथी पतिव्रता दवदंती नलना जे स्वरूपनुं ध्यान करती हती तेज तेणे दी. पड़ी नलराजा बहार श्राव्यो एटले जीमक राजाए तेने घणा स्नेहथी मली अने पोताना सिंहासन उपर बेसारी हाथ जोमीने कडं. “हे राजेंड! था राज्य अने संपत्ति सर्व तमारुं . वली श्रमे पण तमारा हुकममा रहेनारा बीए; माटे जेम मरजी होय तेम करो. दधिपर्ण राजा पण संत्रांत थयो बतो नल राजाने नमस्कार करीने कहेवा लाग्यो. "हे देव ! में पण अज्ञानपणाथी जे कंश आपनो अपराध कस्यो होय ते क्षमा करो." एवामां सार्थपति धनदेव नीमक राजाने मलवा माटे श्राव्यो. तेनो राजाए पोताना बंधुनी पेठे आदर सत्कार कस्यो. दवदंतीना कहेवा उपरथी नीमक राजाए तापसपुरना अधिपति वसंतसार्थवाहने अने तुपर्ण राजाने पण पोताने घेर बोलाव्या. या प्रकारेमान आपता जीमक राजाए सर्वने पोताने त्यां एक मास सुधी राख्या; परंतु नविन नविन उत्सवोने लीधे तेज्ने एक मास रणनी पेठे चाल्यो गयो. एक दिवस को देवताए श्रावीने दवदंतीने कडं. “हे देवी! तुं मने उलखे ? हुँ ते तापसोनो अधिपति बु. तें मने प्रबोध पमाडीने अरिहंत संबंधी व्रत ग्रहण कराव्यु हतुं. अनुक्रमे हुँ मृत्यु पामीने सौधर्म देवलोकने विषे केसर नामनो देवता थयो . तुं तत्वथी म्हारो उपकार करनार ढुं” एम कहीने नमस्कारपूर्वक सात कोड सुवर्णनी वृष्टि करीने ते देवता अंतर्ध्यान थ गयो. पनी वसंत सार्थवाह, दधिपर्ण, ऋतुपर्ण अने नीमक विगेरे बीजा राजार्जए अग्निनासमान प्रौढ पराक्रमवाला नलराजाने राज्याभिषेक कस्यो एटले ते नल राजा, बीजा राजा सहित म्दोटा सैन्यथी पृथ्वीने कंपावतो बतो पोतानी कोशला नगरी तरफ चाख्यो. अनुक्रमे पोताना रतिवबन नामना उद्यानमां श्रावी पहोचेला नसराजाने सांजली माणस जेम कालथी जय पामे तेम कुबर तेनाश्री जय पामवा लाग्यो. __ पड़ी न्यायमा प्रविण एवा नलराजाए दूत मोकली कूबरने कहेवराव्युं के, “ हे बंधो ! हवे फरीथी पासाए खेलीए; नहिं तो पड़ी शस्त्रोश्री खेलीए.” दूतनां वचन सांजली कूबर धीरपुरुषोने साध्य एवी युक
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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