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________________ २२४ शीलोपदेशमाला. अंगमां सुंदर लक्षणवाली, नीलमणिना सरखी कांतिवाली श्रने कुंचना लांबनवाली एक पुत्रीने जेम पूर्वदीशा सूर्यनी प्रतिमाने जन्म आपे तेम जन्म प्राप्यो. ते वखते तेजवडे करीने सर्व जगत् प्रकाशमय थर गयु. नारकी जीवोने पण दणिकसुख उत्पन्न थयु. दिशा प्रकाश पामी. वायु सुखकारी वावा लाग्या अने जगत् योगीना चि. त्तनी पेठे आनंदमय थर गो. ते वखते अधोलोकमां रहेनारी श्राप कुमारीकाए श्रासनकंपथी प्रजुना जन्मने अवधिज्ञानथी जाणी पोतपोताना परिवार अने वैमानसहित पोताना कार्य करवामाटे त्यां श्रावीने जिनेश्वर जगवानने तथा तेमनी माताने प्रणाम कस्यो अने " हे मात ! तमारे नय पामवो नही.” एम कहीने हजार स्तंजवालुं श्रने पूर्वानिमुखवालुं सूतिकागृह बनावीने संवर्तवायुथी योजन पर्यंत नूमिने शुद्ध करी शान तरफ उनी रही. पड़ी उललोकमां रहेनारीश्राउकुमारी आसन कंपथी प्रजुना जन्मने जाणी मेरुपर्वत उपरथी त्यांावीने योजनप्रमाणनूमिने सुगंधीजलथीबांटी तथा पुष्प वृष्टि करी जिनेश्वर नगवानना गुण गावा लागी. पढी रुचक पर्वतना पूर्वजाग उपरथी श्राप कुमारी श्रावी दर्पण हाथमां कालीने पूर्वदिशामा उनी रही. एवामां बीजी मनोहर कांतिवाली रूचक पर्वतना पश्चिम जाग उपर रहेनारी श्राप कुमारीका प्रजुना गुण गाती श्रावीने अने हाथमां कारी जालीने दक्षिण दीशामां उत्नी रही. पड़ी रूचक पर्वतना दक्षिण जाग उपर रहेनारी श्राप कुमारीका श्रावीने अने हाथमां विकणा झालीने पश्चिम दिशामा उनी रहीने जिनेश्वर जगवानना गुण गावा लागी. रूचक पर्वतना उत्तर जागमा रहेली बीजी आठ कुमारी श्रावीने चामर ग्रहण करीने उत्तर दिशामा उनी रही. पड़ी तेज पर्वतना खूणाना जाग उपरथी बीजी बाप कुमारीका श्रावीने दिवाउँ हाथमां कालीने श्शानादिक खूणामा उनी रही. वली रूचक बीपथी बीजी चार कुमारीकाए श्रावीने पृथ्वीमां विवर करीने श्री प्रजुना नालने नारख्यु. पड़ी ते सर्व कुमारीउए जिनेश्वरना जन्मगृह थकी पूर्व, दक्षिण अने उत्तर दिशामां चार शालाउथी मनोहर एवां केलनां गृहो रच्यां अने
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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